खेलबिहार न्यूज़
पटना 12 जुलाई: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के जिला प्रतिनिधि को खबरों में बने रहने का शौक हो गया है जिस कारण वो लगातार अध्यक्ष प्रवक्ता तथा मीडिया कमेटी का भी प्रभार स्वयं निभा रहे हैं चलिए ये अध्यक्ष और उनके लोग समझे।
बीसीए सचिव संजय कुमार के प्रवक्ता राशिद रौशन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि बीसीए जिला प्रतिनिधि संजय सिंह से विनम्र आग्रह है कि बेशक आप अध्यक्ष राकेश तिवारी के हितैषयों में से एक है अच्छी बात है लेकिन सचिव के लिए कार्यों को तो कृपा कर के अध्यक्ष को समर्पित न करें आप से आग्रह होगा की जिसका कार्य है उसको उसका क्रेडिट तो देना चाहिए।
बीसीए जिला प्रतिनिधि संजय कुमार के अनुसार बीसीए को बीसीसीआई द्वारा गोद लिया जा चुका है लेकिन उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि ये खबर मार्च महीने में जनता को बीसीए सचिव द्वारा बताई जा चुकी है और ये सचिव संजय कुमार के कार्यों कि सराहना के स्वरूप बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने दिया था साथ ही आपके जानकारी के लिए ये भी बताना उचित समझूंगा की इनडोर स्टेडियम बनाने की बात उसी समय सचिव द्वारा कही जा चुकी है जिसके लिए नोवा भट्टाचार्य को कन्वेनर बनाया गया था।
आगे श्री रौशन का कहना है कि जिला प्रतिनिधि महोदय के हृदय के साथ – साथ पूरा बिहार जानता है कि जनवरी में हुए महिलाओं के सीरीज जिसका जिक्र करते हैं उसमे बीसीए अध्यक्ष का कितना योगदान रहा है इस बात का पता पहले दिन को छोड़कर बाकी दिनों यहां तक कि फाइनल में भी अध्यक्ष का चेहरा नजर नहीं आया वहीं बीसीए सचिव दिन रात कड़ी मेहनत से सीरीज सफल बनाने में लगे रहे ।
इस तरह झूठे गुणगान से आप अध्यक्ष को खुश कर सकते बिहार के खिलाड़ियों को नहीं सच्चाई यही है कि ये जो कार्य आज आप करने को गिना रहे हैं सचिव के साथ ज्यादती करने के बाद से ठंडे बस्ते में चला गया है। वरना बीसीए सचिव द्वारा अभी तक इन सभी कार्यों को सफल बनाया जा चुका होता। खैर बिहार को क्रिकेट से ज्यादा राजनीति पसंद है ये डायलाग धोनी की आत्मकथा पर बनी फिल्म में बोला गया जा चुका और मौजूदा हालात को देखते हुए इसपर मुहर भी लग जाता है।
क्योंकि बीसीए सचिव के रहते बीसीए में हो रहे पैसे के लूटपाट पर रोक जो था साथ ही सिर्फ खेल पर और क्रिकेट के विकास को लेकर ही सचिव व्यस्त थे जो अध्यक्ष और बीसीए को पूर्व में प्रभावित करने वाले लोग थे सब इकट्ठे हो गए और क्रिकेट पर फिर से बरबादी का काला घना साया मंडराने लगा।
जब से बीसीए सचिव के साथ अन्याय किया गया है तब से सिर्फ बीसीए कोष का बंदरबांट चल रहा है और अपने लोगों को बीसीए में नौकरियां तथा अपनों को ले कर कमेटियां लगातार बन रही हैं अब ऐसे में बीसीए विकास को बातें तो खोखली सी लगती हैं।