Home Bihar cricket association News, बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी को आख़िरकार झुकना ही पड़ा।

बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी को आख़िरकार झुकना ही पड़ा।

by Khelbihar.com

खेलबिहार न्यूज़

  • पटना 30 सितंबर: बिहार क्रिकेट संघ की ओर से आयोजित वार्षिक आम सभा 31 जनवरी 2020 और कार्यकारिणी की बैठक 28 फरवरी 2020 में खिलाड़ी प्रतिनिधि के रुप में राकेश रंजन (कटिहार) और लवली राज (मुजफ्फरपुर ) को सहभागी बनाने के बाद ऐसी कौन सी परिस्थितियां बन गयी कि बीसीए ने इनकी अनदेखी कर खिलाड़ी प्रतिनिधि के रूप में आगे अमिकर दयाल और कविता राय को बैठक में बुलाना शुरू कर दिया।

  • मुज़फ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ(उत्पल रंजन गुट) के सचिव मनोज कुमार ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि बिहार क्रिकेट संघ को यह जवाब देना चाहिए कि या तो प्रारंभ में खिलाड़ी प्रतिनिधि के चयन के लिए लिया गया उनका फैसला गलत था । इनके चयन में मानक मापदंड की अनदेखी की गयी थी या फिर बीसीसीआई की ओर से लगाम कसने के बाद अब उसने आईसीए के आगे घुटने टेक दिए हैं।


  • जहां तक खिलाड़ी प्रतिनिधि का सवाल है लोढ़ा कमेटी के संदर्भ में इसका चयन अनिवार्य रूप से किया जाना है । बीसीसीआई और आईसीए के बीच सामंजस्य के पश्चात यह निश्चित किया जा चुका है कि देश स्तर पर खिलाड़ी प्रतिनिधि का चयन आईसीए के द्वारा किया जाएगा। बिहार क्रिकेट के संदर्भ में भी आईसीए की ओर से खिलाड़ी प्रतिनिधि के रूप में अमिकर दयाल और कविता राय का चयन किया गया था ।तब आईसीए की ओर से इसकी सूचना बीसीए को दी जा चुकी थी ।
  • बावजूद इसके भोजपुर में 31 जनवरी 2020 को आयोजित वार्षिक आम सभा में अध्यक्ष खेमा की ओर से इन दोनों प्रतिनिधियों को बैठक में हिस्सेदारी से जबरन रोका गया था। इस संदर्भ में तब दोनों प्रतिनिधियों ने आईसीए को लिखित रूप से अपने खिलाफ किए गए अभद्र बर्ताव की जानकारी दी गई थी । उक्त आलोक में तब आईसीए की ओर से बीसीए को लिखे गए पत्र में स्पष्ट किया गया था कि जब तक उनके द्वारा मनोनीत दोनों खिलाड़ी प्रतिनिधि की बैठक में सहभागिता नहीं होती है उक्त बैठक मान्य नहीं होगा।
  • बावजूद इसके बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष की ओर से आनन-फानन में 28 फरवरी 2020 को बुलाई गई कार्यकारिणी की बैठक में पुनः खिलाड़ी प्रतिनिधि के रूप में राकेश रंजन और लवली राज को ही तरजीह दी गई थी । इतना ही नहीं अगले एसजीएम में भी इन्ही दोनों को हिस्सेदारी मिली। हालांकि आगे चलकर अध्यक्ष खेमा को बीसीसीआई के दबाव पर आइसीए के आगे झुकना पड़ा और एसजीएम सह एजीएम, भोजपुर में खिलाड़ी प्रतिनिधि के रूप में अनायास ही अमिकरदयाल और कविता राय को आमंत्रित किया गया।
  • वहीं लवली राज और राकेश रंजन की अनदेखी की गई। पुछे जाने पर लवली राज ने बताया कि उनको खिलाड़ी प्रतिनिधि मौखिक रूप से बनाया गया। बार बार कहने के बाद भी संघ की ओर ले कोई नियुक्ति अथवा मनोनयन संबंधी पत्र नहीं दिया गया। बाद में अचानक हमारा आइसीए में निबंधन नहीं होने और खिलाड़ी प्रतिनिधि का चयन आइसीए की ओर से किये जाने की बात कर किनारा कर लिया गया।
  • लवली राज ने बताया कि इस अवधि में टीए डीए अथवा किसी भी मद में उनको बीसीए से कोई भी राशि नहीं दी गयी। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि पूर्व के दिनों में अध्यक्ष के द्वारा लिया गया फैसला न सिर्फ मनमानी का परिचायक था बल्कि आईसीए के आदेश की अवहेलना और सम्मानित खिलाड़ियों के सम्मान से खिलवाड़ भी किया गया।

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