Home Bihar देखें ख़ास बात-चीत में बीसीए विवाद,चुनाव,गुटबाज़ी पर क्या बोले बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी, देखे

देखें ख़ास बात-चीत में बीसीए विवाद,चुनाव,गुटबाज़ी पर क्या बोले बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी, देखे

by Khelbihar.com

पटना 04 जुलाई: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी ने बीसीए के विवाद को लेकर पहली बार सामने आए है और इस पर विस्तार से बात-चीत किया।

अध्यक्ष राकेश तिवारी ने बीसीए सचिव संजय कुमार पर लगे आरोप एवं उनके बर्खास्त को लेकर उन्होंने पूरी बाते बताई तथा बिहार क्रिकेट में जो लगातार समय-दर समय विवाद शुरू हो जाता है उस पर भी अपनी बात रखी है। कैसे वह बीसीए अध्यक्ष बने इसकी भी जानकारी दी।

बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी फाइनलपोस्ट से ख़ास बात-चीत में इन सभी मुद्दों पर बात करते हुए सबसे पहले बीसीए अध्यक्ष ने बताया कि मैं कैसे बीसीए में आया।

उन्होंने कहा” बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में आने से पहले मैं गोपालगंज जिला क्रिकेट एसोसिएशन में उपाध्यक्ष के पद पर था। 2019 में संघ के सहयोगी ने बीसीए चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करने की बात की जिसके बाद मैंने अपनी बीसीए अध्यक्ष के लिए किया और जिला संघो के सहयोग से मैं अध्यक्ष के रूप में चुना गया।

चयनित होने के बाद सबसे पहली हमारी प्राथमिकता थी कि बीसीए के पास कोई अच्छा कार्यालय नही था। मैंने एक अच्छा कार्यालय बनबाया। कई पदाधिकारी की नियुक्ति की गई।लोकपाल ,एथिक ऑफिसर की नियुक्ति की गई।

कार्य विकास की ओर बढ़ने लगा लेकिन 1 साल से ऊपर कार्य मे रोड़ा बना कोरोना जो हमलोग के कार्य के गति को रोक दिया। हमलोग इंतजार कर रहे है कि कोरोना जल्द से जल्द ख़त्म हो और सरकार के दिशा निर्देश आने के बाद हमलोगों ने जो खेल की नीतियां बनाई है उसपर काम करेंगे।

बिहार क्रिकेट में विवाद को लेकर क्या बोले अध्यक्ष राकेश तिवारी?

उन्होंने कहा” विवाद विगत दो बर्षो से नही रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने जबसे बीसीसीआई के पूर्ण सदस्य के रूप में बिहार क्रिकेट संघ को मान्यता दी ।उससे पहले से भी बिहार में कई संस्थाएं सक्रिय थी। जब बिहार क्रिकेट संघ का चुनाव सुप्रीम कोर्ट ने अपने देख रेख में कमिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने देख-रेख में चुनाव करबाया।

उसके बाद कोई खास विवाद नही था। विवाद था कि कमिटी एडमिनिस्ट्रेशन जिसकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट ने की थी जिसके पास पूर्व सचिव संजय कुमार को लेकर कुछ शिकायत मिल रही थी उनके बेटे के टीम में खेलाने को लेकर । जिसके बाद कमिटी एडमिस्ट्रेट ने इस मामले को न्यायालय के सामने रखा।

जिसके बाद हमलोगों ने इसपर निर्णय लेने के लिए एजीएम बुलाया इस एजीएम को सचिव के हस्ताक्षर से ही बुलाया गया। एजीएम में सभी सदस्यों ने निर्णय लिया कि सचिव पर गंभीर आरोप लगे है इसलिए उन्हें कार्यमुक्त किया जाता है। जिसमे जाँच को लेकर पांच सदस्य कमिटी बनाई गई।

कमिटी के जाँच में सचिव ने सहयोग नही किया जिसके बाबजूद कमिटी ने सबूत लाये और उन्हें दोषी पाया गया। दूसरे एजीएम में सभी सदस्यों ने उन्हें बर्खाश्त कर दिया जिसके सूचना हमलोगों ने एथिक ऑफिसर और लोकपाल को दे दिया।

जिसके पास मुकदमा चलता रहा।सचिव ने भी अपनी बात रखा ।जिसके बाद एथिक ऑफिसर का एक निर्णय आया जिसमें संजय जी को दोषी पाया जिसमे  एक साल के लि उन्हें क्रिकेट से अलग रहने का आदेश दिया। तथा निलबिंत कर दिया गया।

उन्होंने आगे बताया” हमारे राज्य के लिए दुर्भाग्य रहा कि झारखंड राज्य अलग होने के बाद बीसीए से मान्यता लेकर झारखंड को दे दिया गया। 18 साल बाद बीसीए को मान्यता मिला। बिहार में विवाद नही है एक व्यक्ति बनाम संघ कोई विवाद नही और बीसीए में कोई गुट नही है।

मैं बीसीए के पूर्व सभी पदाधिकारियों से गुजारिश करता हूं कि बिहार क्रिकेट के विकास में मदद करे और हमलोग का मार्गदर्शन करें।

 

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